Thursday, 7 April 2016

Pratyusha Banerjee's succide so many unanswer questions

(Its a copy pest..made me think...so posting it here)

बालिका वधु की आनन्दी की मौत से सबक ले हमारा हाई फाई समाज। जिन्दगी में सुकून और संतोष होना जरूरी।
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टीवी सीरियल बालिका वधु में आनन्दी का रोल कर मशहूर हुई प्रत्यूषा बनर्जी की दर्दनाक मौत एक अप्रैल को मुम्बई में हो गई। 24 वर्षीया प्रत्यूषा बिहार के जमशेदपुर से पढऩे के लिए मुम्बई गई थी और फिर टीवी सीरियल करने लगी। यानी पढ़ाई और केरियर के दौरान प्रत्यूषा को माता-पिता और घर परिवार का वातावरण नहीं मिला। यही वजह रही कि प्रत्यूषा को नशे की लत लग गई थी। देर रात की पार्टियों में प्रत्यूषा को नशे की स्थितियों में कई बार देखा गया। प्राथमिक जांच में पता चला है कि उसका ब्वाय फ्रेण्ड राहुल राज भी नशेड़ी ही था। आर्थिक तंगी की वजह से दोनों परेशान भी बताए हैं। प्रत्यूषा की मौत का कारण फांसी लगाना बताया जा रहा है। हो सकता है कि इस मामले में ब्वाय फ्रेण्ड राहुल राज को भी गिरफ्तार कर लिया जाए लेकिन सवाल उठता है कि क्या प्रत्यूषा को भारतीय संस्कृति के अनुरूप परिवार का माहौल मिला? प्रत्यूषा की दर्दनाक मौत से हमारे हाई फाई समाज को सबक लेना चाहिए। यह माना कि लड़कियों को पूरी आजादी मिलनी चाहिए और उसके साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए। कुछ इसी तर्ज पर प्रत्यूषा बनर्जी ने मुम्बई में अपनी जिन्दगी व्यतीत की थी यानी जिस फ्लेट में प्रत्यूषा रहती थी उसमें विवाह से पहले ही उसका ब्वाय फ्रेण्ड राहुल भी रहता था। प्रत्यूषा मुम्बई में क्या कर रही है इसकी जानकारी जमशेदपुर में रह रहे उसके माता-पिता को नहीं थी यानी प्रत्यूषा को पूरी आजादी थी। क्या यही आजादी प्रत्यूषा की मौत का करण बनी? हमारे हाई फाई समाज में ऐसी बहुत सी लड़कियां हैं जो प्रत्यूषा की तरह आजादी चाहती हैं। लेकिन हमें इस आजादी के परिणाम पर भी विचार करना चाहिए। कोई माता-पिता नहीं चाहता कि बन्धनों की वजह से लड़की को आगे बढऩे से रोका जाए। लेकिन हर माता-पिता यह भी चाहता है कि उसकी बेटी अपना वैवाहिक जीवन आनन्द के साथ गुजारे। हमने देखा कि प्रत्यूषा ने शोहरत खूब कमाई लेकिन उसे घर परिवार का माहौल नहीं मिला। यह बात सिर्फ लड़कियों पर लागू नहीं होती बल्कि लड़कों पर भी होती है। लड़कों को भी भारतीय संस्कृति के घर परिवार में सीमाओं का पालन करना चाहिए। जो युवा गरीब मां-बाप को छोड़़कर आगे बढ़ते हैं उनकी तो जिम्मेदारी कुछ ज्यादा ही है। शोहरत और दौलत अपनी जगह है लेकिन जीवन में सुकून और संतोष भी जरूरी है। ईश्वर हर व्यक्ति को उसकी जरूरत के अनुरूप देता है लेकिन जब व्यक्ति संतोष नहीं करता तो उसके जीवन में सुकून भी नहीं होता। प्रत्यूषा ने जो आजादी हासिल की उससे वह ऐसे चक्रव्यूह में फंस गई जहां उसे मौत को गले लगाना पड़ा। अन्दाजा लगाया जा सकता है कि प्रत्यूषा किन परिस्थितियों में मरी होगी। पुलिस के अनुसार उसकी मांग में सिन्दूर भरा हुआ था और थोड़े दिन पहले ही उसने विवाह के लिए कपड़े डिजाइन करवाए थे यानी जो प्रत्यूषा दुल्हन बनने के सपने देख रही थी उसी प्रत्यूषा ने फंदे पर झूलकर जान दी। प्रत्यूषा की मौत से उन अभिभावकों को जागरूक होने की जरूरत है जिनके बच्चे बड़े महानगरों में पढ़ाई अथवा नौकरी कर रहे हैं। कई बार बच्चे ऐसे रास्ते पर चले जाते हैं जहां से वापस लौटना मुश्किल होता है। फिल्मी दुनिया में काम करने वाले युवाओं को तो ज्यादा ही सतर्कता बरतने की जरूरत है। टीवी सीरियल के माध्यम से शोहरत और दौलत दोनों ही जल्दी मिलती है लेकिन इसको संभाल पाना बेहद मुश्किल हो जाता है।

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